TITUS
White Yajur-Veda: Vajasaneyi-Samhita (Madhyandina)
Part No. 18
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Paragraph: 18 

Verse: 1 
Sentence: a    वज॑श्च मे प्रस॒वश्च॑ मे॒ प्रय॑तिश्च मे॒ प्रसि॑तिश्च मे धी॒तिश्च॑ मे॒ क्रतु॑श्च मे॒ स्वर॑श्च मे॒ श्लोक॑श्च मे श्र॒वश्च॑ मे॒ श्रुति॑श्च मे॒ ज्योति॑श्च मे॒ स्व॑श्च मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 2 
Sentence: a    
प्रा॒णश्च॑ मे पा॒नश्च॑ मे व्या॒नश्च॒ मे सु॑श्च मे चि॒त्तं च॑ म॒ आधी॑तं च मे॒ वाक्च॑ मे॒ मन॑श्च मे॒ चक्षु॑श्च मे॒ श्रोत्रं॑ च मे॒ दक्ष॑श्च मे॒ बलं॑ च मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 3 
Sentence: a    
ओज॑स्च मे॒ सह॑श्च म आ॒त्मा च॑ मे त॒नूश्च॑ मे॒ शर्म॑ च मे॒ वर्म॑ च॒ मे ङ्गा॑नि च॒ मे स्था॑नि च मे॒ परूँ॑षि च मे॒ शरी॑राणि च म॒ आयु॑श्च मे ज॒रा च॑ मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 4 
Sentence: a    
ज्यै॑ष्ठ्यं च मे॒ आधि॑पत्यं च मे म॒न्युश्च॑ मे॒ भाम॑श्च॒ मे म॑श्च॒ मे म्भ॑श्च मे महि॒मा च॑ मे वरि॒मा च॑ मे प्रथि॒मा च॑ मे वर्षि॒मा च॑ मे द्राघि॒मा च॑ मे वृ॒द्धं च॑ मे॒ वृद्धि॑श्च मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 5 
Sentence: a    
स॒त्यं च॑ मे श्र॒द्धा च॑ मे॒ जग॑च्च मे॒ धनं॑ च मे॒ विश्वं॑ च मे॒ मह॑श्च मे क्री॒डा च॑ मे॒ मोद॑श्च मे जा॒तं च॑ मे जनि॒ष्यमा॑णं च मे सू॒क्तं च॑ मे सुकृ॒तं च॑ मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 6 
Sentence: a    
ऋ॒तं च॒ मे मृतं॑ च॒ मे य॒क्ष्मं च॒ मे ना॑मयच्च मे जी॒वातु॑श्च मे दीर्घायु॒त्वं च॑ मे नमि॒त्रं च॒ मे भ॑यं च मे सु॒खं च॑ मे॒ शय॑नं च मे सु॒षाश्च॑ मे सु॒दिनं॑ च मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 7 
Sentence: a    
य॒न्ता च॑ मे ध॒र्ता च॑ मे॒ क्षेम॑श्च मे॒ धृति॑श्च मे॒ विश्वं॑ च मे॒ मह॑श्च मे सं॒विच्च॑ मे॒ ज्ञात्रं॑ च मे॒ सूश्च॑ मे प्र॒सूश्च॑ मे॒ सीरं॑ च मे॒ लय॑श्च मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 8 
Sentence: a    
शं च॑ मे॒ मय॑श्च मे प्रि॒यं च॑ मे नुका॒मश्च॑ मे॒ काम॑श्च मे सौमन॒सश्च॑ मे॒ भग॑श्च मे॒ द्रवि॑णं च मे भ॒द्रं च॑ मे॒ श्रेय॑श्च मे॒ वसी॑यश्च मे॒ यश॑श्च मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 9 
Sentence: a    
ऊर्क्च॑ मे सू॒नृता॑ च मे॒ पय॑श्च मे॒ रस॑श्च मे घृ॒तं च॑ मे॒ मधु॑ च मे॒ सग्धि॑श्च मे॒ सपी॑तिश्च मे कृ॒षिश्च॑ मे॒ वृष्टि॑श्च मे जैत्रं च म औद्भिद्यं च मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 10 
Sentence: a    
र॒यिश्च॑ मे॒ राय॑श्च मे पु॒ष्टं च॑ मे॒ पुष्टि॑श्च मे वि॒भु च॑ मे प्र॒भु च॑ मे पू॒र्णं च॑ मे पू॒र्णत॑रं च मे॒ कुय॑वं च॒ मे क्षि॑तं च॒ मे न्नं॑ च॒ मे क्षु॑च्च मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 11 
Sentence: a    
वि॒त्तं च॑ मे॒ वेद्यं॑ च मे भू॒तं च॑ मे भवि॒ष्यच्च॑ मे सु॒गं च॑ मे सुप॒थ्यं॑ च म ऋ॒द्धं च॑ म॒ ऋद्धि॑श्च मे॒ क्ळ्प्तं च॑ मे क्े६प्ति॑श्च मे म॒तिश्च॑ मे सुम॒तिश्च॑ मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 12 
Sentence: a    
व्री॒हय॑श्च मे॒ यवा॑श्च मे॒ माषा॑श्च मे॒ तिला॑श्च मे मु॒द्राश्च॑ मे॒ खल्वा॑श्च मे प्रि॒यङ्ग॑वश्च॒ मे ण॑वश्च मे श्या॒माका॑श्च मे नी॒वारा॑श्च मे गो॒धूमा॑श्च मे म॒सूरा॑श्च मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 13 
Sentence: a    
अश्मा॑ च मे॒ मृत्ति॑का च मे गि॒रय॑श्च मे॒ पर्व॑ताश्च मे॒ सिक॑ताश्च मे॒ वन॒स्पत॑यश्च मे॒ हिर॑ण्यं च॒ मे य॑श्च मे श्या॒मं च॑ मे लो॒हं च॑ मे॒ सीसं॑ च मे॒ त्रपु॑ च मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 14 
Sentence: a    
अ॒ग्निश्च॑ म॒ आप॑श्च मे वी॒रुध॑श्च म॒ ओष॑धयश्च मे कृष्टप॒च्याश्च॑ मे कृष्टप॒च्याश्च॑ मे ग्रा॒म्याश्च॑ मे प॒शव॑ आर॒ण्याश्च॑ मे वि॒त्तं च॑ मे॒ वित्ति॑श्च मे भू॒तं च॑ मे॒ भूति॑श्च मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 15 
Sentence: a    
वसु॑ च मे वस॒तिश्च॑ मे॒ कर्म॑ च मे॒ शक्ति॑श्च॒ मे र्थ॑श्च म॒ एम॑श्च म इ॒त्या च॑ मे॒ गति॑श्च मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 16 
Sentence: a    
अ॒ग्निश्च॑ म॒ इन्द्र॑श्च मे॒ सोम॑श्च म॒ इन्द्र॑श्च मे सवि॒ता च॑ म॒ इन्द्र॑श्च मे॒ सर॑स्वती च म॒ इन्द्र॑श्च मे पू॒षा च॑ म॒ इन्द्र॑श्च मे॒ बृह॒स्पति॑श्च म॒ इन्द्र॑श्च मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 17 
Sentence: a    
मि॒त्रश्च॑ म॒ इन्द्र॑श्च मे॒ वरु॑णश्च म॒ इन्द्र॑श्च मे धा॒ता च॑ म॒ इन्द्र॑श्च मे॒ त्वष्टा॑ च म॒ इन्द्र॑श्च मे म॒रुत॑श्च म॒ इन्द्र॑श्च मे॒ विश्वे॑ च मे दे॒वा इन्द्र॑श्च मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 18 
Sentence: a    
पृ॑थि॒वी च॑ म॒ इन्द्र॑श्च॒ मे न्तरि॑क्षं च म॒ इन्द्र॑श्च मे द्यौश्च म॒ इन्द्र॑श्च मे॒ समा॑श्च म॒ इन्द्र॑श्च मे॒ नक्ष॑त्राणि च म॒ इन्द्र॑श्च मे॒ दिश॑श्च म॒ इन्द्र॑श्च मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 19 
Sentence: a    
अँ॒शुश्च॑ मे र॒श्मिश्च॒ मे दा॑भ्यश्च॒ मे धि॑पतिश्च म उपाँ॒शुश्च॑ मे न्तर्या॒मश्च॑ म ऐन्द्रवायश्च॑ मे मैत्रावरु॒णश्च॑ म आश्वि॒नश्च॑ मे प्रतिप्र॒स्थान॑श्च मे शु॒क्रश्च॑ मे म॒न्थी च॑ मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 20 
Sentence: a    
आ॑ग्रया॒णश्च॑ मे वैश्वदे॒वश्च॑ मे ध्रु॒वश्च॑ मे वैश्वान॒रश्च॑ म ऐन्द्रा॒ग्नश्च॑ मे म॒हावै॑शश्च मे मरुत्व॒तीया॑श्च मे॒ निष्के॑वल्यश्च मे सावि॒त्रश्च॑ मे सारस्व॒तश्च॑ मे पत्नीव॒तश्च॑ मे हारियओज॒नश्च॑ मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 21 
Sentence: a    
स्रुच॑श्च मे चम॒साश्च॑ मे वाय॒व्या॑नि च मे द्रोणकल॒शश्च॑ मे॒ ग्रावा॑णश्च मे धि॒षव॑णे च मे पूत॒भृच्च॑ म आधव॒नीय॑श्च मे॒ वेदि॑श्च मे ब॒र्हिश्च॑ मे वभृ॒तश्च॑ मे स्वगाका॒रश्च॑ मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 22 
Sentence: a    
अ॒ग्निश्च॑ मे घ॒र्मश्च॑ मे॒ र्कश्च॑ मे॒ सूर्य॑श्च मे प्रा॒णश्च॑ मे स्वमे॒धश्च॑ मे पृथि॒वी च॒ मे दि॑तिश्च मे॒ दिति॑श्च मे द्यौश्च मे॒ ङ्गुल॑यः॒ शक्व॑रयो॒ दिश॑श्च मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 23 
Sentence: a    
व्र॒तं च॑ म ऋ॒तव॑श्च मे॒ तप॑श्च मे संवत्स॒रश्च॑ मे होरा॒त्रे ऊ॑र्वष्ठी॒वे बृ॑हद्रथन्त॒रे च॑ मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 24 
Sentence: a    
एका॑ च मे ति॒स्रश्च॑ मे ति॒स्रश्च॑ मे॒ पञ्च॑ च मे॒ पञ्च॑ च मे स॒प्त च॑ मे स॒प्त च॑ मे॒ नव॑ च मे॒ नव॑ च म॒ एका॑दश च म॒ एका॑दश च मे॒ त्रयो॑दश च मे॒ त्रयो॑दश च मे॒ पञ्च॑दश च मे॒ पञ्च॑दश च मे स॒प्तद॑श च मे श॒प्तद॑श च मे॒ नव॑दश च मे॒ नव॑दश च म॒ एक॑विँशतिश्च म॒ एक॑विँशतिश्च मे॒ त्रयो॑विँशतिश्च मे॒ त्रयो॑विँशतिश्च मे॒ पञ्च॑विँशतिश्च मे॒ पञ्च॑विँशतिश्च मे स॒प्तविँ॑श्च मे स॒प्तविँ॑शतिश्च मे॒ नव॑विँशतिश्च मे॒ नव॑विँशतिश्च म॒ एक॑त्रिँशच्च म॒ एक॑त्रिँशच्च मे॒ त्रय॑स्त्रिँशच्च मे॒ त्रय॑स्त्रिँशच्च मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 25 
Sentence: a    
चत॑स्रश्च मे ष्टौ च मे ष्टौ च मे॒ द्वाद॑श च मे॒ द्वाद॑श च मे॒ षोड॑श च मे॒ षोड॑श च मे विँश॒तिश्च॑ मे विँशतिश्च मे॒ चतु॑र्विँशतिश्च मे॒ चतु॑र्विँश॒तिश्च॑ मे॒ ष्टाविँ॑शतिश्च मे॒ ष्टाविँ॑श्च मे॒ द्वात्रिँ॑शच्च मे॒ द्वात्रिँ॑शच्च मे॒ षट्त्रिँ॑शच्च मे॒ षट्त्रिँ॑शच्च मे चत्वारिँ॒शच्च॑ मे चत्वारिँ॒शच्च॑ मे॒ चतु॑श्चत्वारिँशच्च मे॒ चतु॑श्चत्वारिँशच्च मे॒ ष्टाच॑त्वारिँशच्च मे॒ ष्टाच॑त्वारिँशच्च मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 26 
Sentence: a    
त्र्यवि॑श्च मे त्र्य॒वी च॑ मे दित्य॒वाट्च॑ मे दित्यौ॒ही च॑ मे पञ्चा॒विश्च॑ मे पञ्चा॒वी च॑ मे त्रिव॒त्सश्च॑ मे त्रिव॒त्सा च॑ मे तुर्य॒वाट्च॑ मे तुर्यौ॒ही च॑ मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 27 
Sentence: a    
प॑ष्ठ॒वाट्च॑ मे पष्ठौ॒ही च॑ म उ॒क्षा च॑ मे व॒शा च॑ म ऋष॒भश्च॑ मे वे॒हच्च॑ मे न॒ड्वाँश्च॑ मे धे॒नुश्च॑ मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम् ।।

Verse: 28 
Sentence: a    
वाजा॑य॒ स्वाहा॑ प्रस॒वाय॒ स्वाहा॑पि॒जाय॒ स्वाहा॒ क्रत॑वे॒ स्वाहा॒ वस॑वे॒ स्वाहा॑ह॒र्पत॑ये॒ स्वाहाह्ने॒ स्वाहा॑ मु॒ग्धाय॒ स्वाहा॑ मु॒ग्धाय॑ वैनँशि॒नाय॒ स्वाहा॑विनँ॒शिन॑ आन्त्याय॒नाय॒ स्वाहान्त्या॑य भौव॒नाय॒ स्वाहा॒ भुव॑नस्य॒ पत॑ये॒ स्वाहाधि॑पतये॒ स्वाहा॑ प्र॒जाप॑तये॒ स्वाहा॑ ।
Sentence: b    
इ॒यं ते॒ राण्मि॒त्राय॑ य॒न्तासि॒ यम॑न ऊ॒र्जे त्वा॒ वृष्ट्यै॑ त्वा प्र॒जानां॒ त्वाधि॑पत्याय ।।

Verse: 29 
Sentence: a    
आयु॑र्य॒ज्ञेन॑ कल्पतां प्रा॒णो य॒ज्ञेन॑ कल्पतां॒ चक्षु॑र्य॒ज्ञेन॑ कल्पताँ॒ श्रोत्रं॑ य॒ज्ञेन॑ कल्पतां॒ वाग्य॒ज्ञेन॑ कल्पतां॒ मनो॑ य॒ज्ञेन॑ कल्पतामा॒त्मा य॒ज्ञेन॑ कल्पतां ब्र॒ह्मा य॒ज्ञेन॑ कल्पतां॒ ज्योति॑र्य॒ज्ञेन॑ कल्पताँ॒ स्व॑र्य॒ज्ञेन॑ कल्पतां पृ॒ष्ठं य॒ज्ञेन॑ कल्पतां य॒ज्ञो य॒ज्ञेन॑ कल्पताम् ।
Sentence: b    
स्तोम॑श्च य्श्च॒ ऋक्च॒ साम॑ च बृ॒हच्च॑ रथन्त॒रं च॑ ।
Sentence: c    
स्व॑र्देवा अगन्मा॒मृता॑ अभूम प्र॒जाप॑तेः प्र॒जा अ॑भूम॒ वेट्स्वाहा॑ ।।

Verse: 30 
Sentence: a    
वाज॑स्य॒ नु प्र॑स॒वे मा॒तरं॑ म॒हीमदि॑तिं॒ नाम॒ वच॑सा करामहे ।
Sentence: b    
यस्या॑मि॒दं विश्वं॒ भुव॑नमावि॒वेश॒ तस्यां॑ नो दे॒वः स॑वि॒ता धर्म॑ साविषत् ।।

Verse: 31 
Sentence: a    
विश्वे॑ अ॒द्य म॒रुतो॒ विश्व॑ ऊ॒ती विश्वे॑ भवन्त्व॒ग्नयः॒ समि॑द्धाः ।
Sentence: b    
विश्वे॑ नो दे॒वा अव॒सा ग॑मन्तु॒ विश्व॑मस्तु॒ द्रवि॑णं॒ वाजो॑ अ॒स्मे ।।

Verse: 32 
Sentence: a    
वाजो॑ नः स॒प्त प्र॒दिश॒श्चत॑स्रो वा परा॒वतः॑ ।
Sentence: b    
वाजो॑ नो॒ विश्वै॑र्देवै॒र्धन॑सातावि॒हाव॑तु ।।

Verse: 33 
Sentence: a    
वाजो॑ नो अ॒द्य प्र सु॑वाति॒ दानं॒ वाजो॑ दे॒वाँ ऋ॒तुभिः॑ कल्पयाति ।
Sentence: b    
वाजो॒ हि मा॒ सर्व॑वीरं ज॒जान॒ विश्वा॒ आशा॒ वाज॑पतिर्जयेयम् ।।

Verse: 34 
Sentence: a    
वजः॑ पु॒रस्ता॑दु॒त म॑ध्य॒तो नो॒ वाजो॑ दे॒वान्ह॒विषा॑ वर्धयाति ।
Sentence: b    
वाजो॒ हि मा॒ सर्व॑वीरं च॒कार॒ सर्वा॒ आशा॒ वाज॑पतिर्भवेयम् ।।

Verse: 35 
Sentence: a    
सं मा॑ सृजामि॒ पय॑सा पृथि॒व्याः सं मा॑ सृजाम्य॒द्भिरोष॑धीभिः ।
Sentence: b    
सो॒ हं वाजँ॑ सनेयमग्ने ।।

Verse: 36 
Sentence: a    
पयः॑ पृथि॒व्यां पय॒ ओष॑धीषु॒ पयो॑ दि॒व्य॒न्तरि॑क्षे॒ पयो॑ धाः ।
Sentence: b    
पय॑स्वतीः प्र॒दिशः॑ सन्तु॒ मह्य॑म् ।।

Verse: 37 
Sentence: a    
दे॒वस्य॑ त्वा सवि॒तुः प्र॑स॒वे॒ श्विनो॑र्बा॒हुभ्यां॑ पू॒ष्णो हस्ता॑भ्याम् ।
Sentence: b    
सर॑स्वत्यै वा॒चो य॒न्तुर्य॒न्त्रेणा॒ग्नेः साम्रा॑ज्येना॒भि षि॑ञ्चामि ।।

Verse: 38 
Sentence: a    
ऋ॑ता॒षाडृ॒तधा॑मा॒ग्निर्ग॑न्ध॒र्वस्तस्यौ॑षधयो प्स॒रसो॒ मुदो॒ नाम॑ ।
Sentence: b    
स न॑ इ॒दं ब्रह्म॑ क्ष॒त्रं पा॑तु॒ तस्मै॒ स्वाहा॒ वाट्ताभ्यः॒ स्वाहा॑ ।।

Verse: 39 
Sentence: a    
सँ॑हि॒तो वि॒श्वसा॑मा॒ सूर्यो॑ गन्ध॒र्वस्तस्य॒ मरी॑चयो प्स॒रस॑ आ॒युवो॒ नाम॑ ।
Sentence: b    
स न॑ इ॒दं ब्रह्म॑ क्ष॒त्रं पा॑तु॒ तस्मै॒ स्वाहा॒ वाट्ताभ्यः॒ स्वाहा॑ ।।

Verse: 40 
Sentence: a    
सु॑षु॒म्णः सूर्य॑रश्मिश्च॒न्द्रमा॑ गन्ध॒र्वस्तस्य॒ नक्ष॑त्राण्यप्स॒रसो॑ भे॒कुर॑यो॒ नाम॑ ।
Sentence: b    
स न॑ इ॒दं ब्रह्म॑ क्ष॒त्रं पा॑तु॒ तस्मै॒ स्वाहा॒ वाट्ताभ्यः॒ स्वाहा॑ ।।

Verse: 41 
Sentence: a    
इ॑षि॒रो वि॒श्वव्य॑चा॒ वातो॑ गन्ध॒र्वस्तस्यपो॑ अप्स॒रस॒ ऊर्जो॒ नाम॑ ।
Sentence: b    
स न॑ इ॒दं ब्रह्म॑ क्ष॒त्रं पा॑तु॒ तस्मै॒ स्वाहा॒ वाट्ताभ्यः॒ स्वाहा॑ ।।

Verse: 42 
Sentence: a    
भु॒ज्युः सु॑प॒र्णो य॒ज्ञो ग॑न्ध॒र्वस्तस्य॒ दक्षि॑णा अप्स॒रस॑ स्ता॒वा नाम॑ ।
Sentence: b    
स न॑ इ॒दं ब्रह्म॑ क्ष॒त्रं पा॑तु॒ तस्मै॒ स्वाहा॒ वाट्ताभ्यः॒ स्वाहा॑ ।।

Verse: 43 
Sentence: a    
प्र॒जाप॑तिर्वि॒श्वक॑र्मा॒ मनो॑ गन्ध॒र्वस्तस्य॑ ऋक्सा॒मान्य॑प्स॒रस॒ एष्ट॑यो॒ नाम॑ ।
Sentence: b    
स न॑ इ॒दं ब्रह्म॑ क्ष॒त्रं पा॑तु॒ तस्मै॒ स्वाहा॒ वाट्ताभ्यः॒ स्वाहा॑ ।।

Verse: 44 
Sentence: a    
स नो॑ भुवनस्य पते प्रजापते॒ यस्य॑ त उ॒परि॑ गृ॒हा यस्य॑ वे॒ह ।
Sentence: b    
अस्मै॒ ब्रह्म॑णे स्मै क्ष॒त्राय॒ महि॒ शर्म॑ यच्छ॒ स्वाहा॑ ।।

Verse: 45 
Sentence: a    
स॑मु॒द्रो॑ सि॒ नभ॑स्वाना॒र्द्रदा॑नुः श॒म्भूर्म॑यो॒भूर॒भि मा॑ वाहि॒ स्वाहा॑ ।
Sentence: b    
मा॑रु॒तो॑ सि म॒रुतां॑ ग॒णः श॒म्भूर्म॑यो॒भूर॒भि मा॑ वाहि॒ स्वाहा॑ ।
Sentence: c    
अ॑व॒स्यूर॑सि॒ दुव॑स्वाञ्छ॒म्भूर्म॑यो॒भूर॒भि मा॑ वाहि॒ स्वाहा॑ ।।

Verse: 46 
Sentence: a    
यास्ते॑ अग्ने॒ सूर्ये॒ रुचो॒ दिव॑मात॒न्वन्ति॑ र॒श्मिभिः॑ ।
Sentence: b    
ताभि॑र्नो अ॒द्य सर्वा॑भी रु॒चे जना॑य नस्कृधि ।।

Verse: 47 
Sentence: a    
या वो॑ दे॒वाः सूर्ये॒ रुचो॒ गोष्वश्वे॑षु॒ या रुचः॑ ।
Sentence: b    
इन्द्रा॑ग्नी॒ ताभिः॒ सर्वा॑भी॒ रुचं॑ नो धत्त बृहस्पते ।।

Verse: 48 
Sentence: a    
रुचं॑ नो धेहि ब्राह्म॒णेषु॒ रुचँ॒ राज॑सु नस्कृधि ।
Sentence: b    
रुचं॒ विश्ये॑षु शू॒द्रेषु॒ मयि॑ धेहि रु॒चा रुच॑म् ।।

Verse: 49 
Sentence: a    
तत्त्वा॑ यामि॒ ब्रह्म॑णा॒ वन्द॑मान॒स्तदा शा॑स्ते॒ यज॑मानो ह॒विर्भिः॑ ।
Sentence: b    
अहे॑डमानो वरुणे॒ह बो॒ध्युरु॑शँस॒ मा न॒ आयुः॒ प्र मो॑षीः ।।

Verse: 50 
Sentence: a    
स्व॒र्ण घ॒र्मः स्वाहा॑ ।
Sentence: b    
स्व॒र्णार्कः स्वाहा॑ ।
Sentence: c    
स्व॒र्ण शु॒क्रः स्वाहा॑ ।
Sentence: d    
स्व॒र्ण ज्योतिः॒ स्वाहा॑ ।
Sentence: e    
स्व॒र्ण सूर्यः॒ स्वाहा॑ ।।

Verse: 51 
Sentence: a    
अ॒ग्निं यु॑नज्मि॒ शव॑सा घृ॒तेन॑ दि॒व्यँ सु॑प॒र्णं वय॑सा बृ॒हन्त॑म् ।
Sentence: b    
तेन॑ व॒यं ग॑मेम ब्र॒ध्नस्य॑ वि॒ष्टपँ॒ स्वो॒ रुहा॑णा॒ अधि॒ नाक॑मुत्त॒मम् ।।

Verse: 52 
Sentence: a    
इमौ ते प॒क्षाव॒जरौ॑ पत॒त्रिणौ॒ याभ्याँ॒ रक्षाँ॑स्यप॒हँस्य॑ग्ने ।
Sentence: b    
ताभ्यां॑ पतेम सु॒कृता॑मु लो॒कं यत्र॒ ऋष॑यो ज॒ग्मुः प्र॑थम॒जाः पु॑रा॒णाः ।।

Verse: 53 
Sentence: a    
इन्दु॒र्दक्षः॑ श्ये॒न ऋ॒तावा॒ हिर॑ण्यपक्षः शकु॒नो भु॑र॒ण्युः ।
Sentence: b    
म॒हान्त्स॒धस्थे॑ ध्रु॒व आ निष॑त्तो॒ नम॑स्ते अस्तु॒ मा मा॑ हिँसीः ।।

Verse: 54 
Sentence: a    
दि॒वो मू॒र्धासि॑ पृथि॒व्या नाभि॒रूर्ग॒पामोष॑धीनाम् ।
Sentence: b    
वि॒श्वायुः॒ शर्म॑ स॒प्रथा॒ नम॑स्प॒थे ।।

Verse: 55 
Sentence: a    
विश्व॑स्य मू॒र्धन्नधि॑ तिष्ठसि श्रि॒तः स॑मु॒द्रे ते॒ हृद॑यम॒प्स्वायु॑र॒पो द॑त्तोद॒धिं भि॑न्त्त ।
Sentence: b    
दि॒वस्प॒र्जन्या॑द॒न्तरि॑क्षात्पृथि॒व्यास्ततो॑ नो॒ वृष्ट्या॑व ।।

Verse: 56 
Sentence: a    
इ॒ष्टो य॒ज्ञो भृगु॑भिराशी॒र्दा वसु॑भिः ।
Sentence: b    
तस्य॑ न इ॒ष्टस्य॑ प्री॒तस्य॒ द्रवि॑णे॒हा ग॑मेः ।।

Verse: 57 
Sentence: a    
इ॒ष्टो अ॒ग्निराहु॑तः पिपर्तु न इ॒ष्टँ ह॒विः ।
Sentence: b    
स्व॒गेदं दे॒वेभ्यो॒ नमः॑ ।।

Verse: 58 
Sentence: a    
यदाकू॑तात्स॒मसु॑स्रोद्धृ॒दो वा॒ मन॑सो वा॒ सम्भृ॑तं॒ चक्षु॑षो वा ।
Sentence: b    
तदनु॒ प्रेत॑ सु॒कृता॑मु ओ॒ल्कं यत्र॒ ऋष॑यो ज॒ग्मुः प्र॑थम॒जाः पु॑रा॒णाः ।।

Verse: 59 
Sentence: a    
ए॒तँ स॑धस्थ॒ परि॑ ते ददामि॒ यमा॒वहा॑च्छेव॒धिं जा॒तवे॑दाः ।
Sentence: b    
अ॑न्वाग॒न्ता य॒ज्ञप॑तिर्वो॒ अत्र॒ तँ स्म॑ जानीत पर॒मे व्यो॑मन् ।।

Verse: 60 
Sentence: a    
ए॒तं जा॑नाथ पर॒मे व्यो॑म॒न्देवाः॑ सधस्था विद रू॒पम॑स्य ।
Sentence: b    
यदा॒गच्छा॑त्प॒थिभि॑र्देव॒यानै॑रिष्टापू॒र्ते कृ॑णवाथा॒विर॑स्मै ।।

Verse: 61 
Sentence: a    
उद्बु॑ध्यस्वाग्ने॒ प्रति॑ जागृहि॒ त्वमि॑ष्टापू॒र्ते सँ सृ॑जेथाम॒यं च॑ ।
Sentence: b    
अ॒स्मिन्त्स॒धस्थे॒ अध्युत्त॑रस्मि॒न्विस्वे॑ देवा॒ यज॑मानाश्च सीदत ।।

Verse: 62 
Sentence: a    
येन॒ वह॑सि स॒हस्रं॒ येना॑ग्ने सर्ववेद॒सम् ।
Sentence: b    
तेने॒मं य॒ज्ञं नो॑ नय॒ स्व॑र्दे॒वेषु॒ गन्त॑वे ।।

Verse: 63 
Sentence: a    
प्र॑स्त॒रेण॑ परि॒धिना॑ स्रु॒चा वेद्या॑ च ब॒र्हिषा॑ ।
Sentence: b    
ऋ॒चेमं य॒ज्ञं नो॑ नय॒ स्व॑र्दे॒वेषु॒ गन्त॑वे ।।

Verse: 64 
Sentence: a    
यद्द॒त्तं यत्प॑रा॒दानं॒ यत्पू॒र्तं याश्च॒ दक्षि॑णाः ।
Sentence: b    
तद॒ग्निर्वै॑श्वकर्म॒णः स्व॑र्दे॒वेषु॑ नो दधत् ।।

Verse: 65 
Sentence: a    
यत्र॒ धारा॒ अन॑पेता॒ मधो॑र्घृ॒तस्य॑ च॒ याः ।
Sentence: b    
तद॒ग्निर्वै॑श्वकर्म॒णः स्व॑र्दे॒वेषु॑ नो दधत् ।।

Verse: 66 
Sentence: a    
अ॒ग्निर॑स्मि॒ जन्म॑ना जा॒तवे॑दा घृ॒तं मे॒ चक्षु॑र॒मृतं॑ म आ॒सन् ।
Sentence: b    
अ॒र्कस्त्रि॒धातू॒ रज॑सो वि॒मानो ज॑स्रो घ॒र्मो ह॒विर॑स्मि॒ नाम॑ ।।

Verse: 67 
Sentence: a    
ऋचो॒ नामा॑स्मि॒ यजूँ॑षि॒ नामा॑स्मि॒ सामा॑नि॒ नामा॑स्मि ।
Sentence: b    
ये अ॒ग्नयः॒ प्राञ्च॑जन्या अ॒स्यां पृ॑थि॒व्यामधि॑ ।
Sentence: c    
तेषा॑मसि॒ त्वमु॑त्त॒मः प्र नो॑ जी॒वत॑वे सुव ।।

Verse: 68 
Sentence: a    
वा॑र्त्रह॒त्याय॒ शव॑से पृतना॒षाह्या॑य च ।
Sentence: b    
इन्द्र॒ त्वा व॑र्तयामसि ।।

Verse: 69 
Sentence: a    
स॒हदा॑नुं पुरुहूत क्षि॒यन्त॑मह॒स्तमि॑न्द्र॒ सं पि॑ण॒क्कुणा॑रुम् ।
Sentence: b    
अ॒भि वृ॒त्रं वर्ध॑मानं॒ पिया॑रुम॒पाद॑मिन्द्र त॒वसा॑ जघन्थ ।।

Verse: 70 
Sentence: a    
वि न॑ इन्द्र॒ मृधो॑ जहि नी॒चा य॑च्छ पृतन्य॒तः ।
Sentence: b    
यो अ॒स्माँ अ॑भि॒दास॒त्यध॑रं गमया॒ तमः॑ ।।

Verse: 71 
Sentence: a    
मृ॒गो न भी॒मः कु॑च॒रो गि॑रि॒ष्ठाः प॑रा॒वत॒ आ ज॑गन्था॒ पर॑स्याः ।
Sentence: b    
सृ॒कँ सँ॒शाय॑ प॒विमि॑न्द्र ति॒ग्मं वि शत्रू॑न्ताढि॒ वि मृधो॑ नुदस्व ।।

Verse: 72 
Sentence: a    
वै॑श्वान॒रो न॑ ऊ॒तय॒ आ प्र या॑तु परा॒वतः॑ ।
Sentence: b    
अ॒ग्निर्नः॑ सुष्टु॒तीरुप॑ ।।

Verse: 73 
Sentence: a    
पृ॒ष्टो दि॒वि पृ॒ष्टो अ॒ग्निः पृ॑थि॒व्यां पृ॒ष्टो विश्वा॒ ओष॑धी॒रा वि॑वेश ।
Sentence: b    
वै॑श्वान॒रः सह॑सा पृ॒ष्टो अ॒ग्निः स नो॒ दिवा॒ स रि॒षस्पा॑तु॒ नक्त॑म् ।।

Verse: 74 
Sentence: a    
अ॒श्याम॒ ते काम॑मग्ने॒ तवो॒ती अ॒श्याम॑ र॒यिँ र॑यिवः सु॒वीर॑म् ।
Sentence: b    
अ॒श्याम॒ वाज॑म॒भि वा॒जय॑न्तो॒ श्याम॑ द्यु॒म्नम॑जरा॒जरं॑ ते ।।

Verse: 75 
Sentence: a    
व॒यं ते॑ अ॒द्य र॑रि॒मा हि काम॑मुत्ता॒नह॑स्ता॒ नम॑सोप॒सद्य॑ ।
Sentence: b    
यजि॑ष्ठेन॒ मन॑सा यक्षि दे॒वानस्रे॑धता॒ मन्म॑ना॒ विप्रो॑ अग्ने ।।

Verse: 76 
Sentence: a    
धा॑म॒च्छद॒ग्निरिन्द्रो॑ ब्र॒ह्मा दे॒वो बृह॒स्पतिः॑ ।
Sentence: b    
सचे॑तसो॒ विश्वे॑ दे॒वाय॒ज्ञं प्राव॑न्तु नः शु॒भे ।।

Verse: 77 
Sentence: a    
त्वं य॑विष्ठ दा॒शुषो॒ नॄँः पा॑हि शृणु॒धी गिरः॑ ।
Sentence: b    
रक्षा॑ तो॒कमु॒त त्मना॑ ।।



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This text is part of the TITUS edition of White Yajur-Veda: Vajasaneyi-Samhita (Madhyandina).

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